लेखनी कहानी -29-Apr-2022 कर्तव्य
रचयिता-प्रियंका भूतड़ा
शीर्षक-कर्तव्य
जागो देश के नौजवानों
मां के दूध को ना लजाओ
भगिनी के सूत्र को न लजाओ
अपनी मातृभूमि के लिए
फ्रिक ना करो जान की
जिसकी गोद में तुम खेले हो
जिसकी रज में महल बनाए तुमने
इस रज में देखे तुमने, कितने सपने
आज परीक्षा रज की है
इस रज के कितने होंगे सपने
मत होने दो इसको निराश
इसके करो सपने साकार
आज तुम्हें मिटना है इस रज की खातिर
जागो देश के नौजवानों जागो
फहरा दो मातृभूमि पर झंडा
चाहे तुम्हें मिले फांसी का फंदा
हो जाओ तुम इस रज के खातिर शहीद
तुम देश के नौजवान हो
रज की रक्षा करना है कर्तव्य तुम्हारा।
"वीर देश के वीर उत्स का
चित्रांकन है प्यारा भारत,
एकता और सहिष्णुता का
मूल्यांकन है सारा भारत"।
सप्ताह की 20 वी कविता
Simran Bhagat
29-Apr-2022 09:20 PM
🔥🔥
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Neha syed
29-Apr-2022 07:37 PM
बहुत अच्छा लिखा है
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Fareha Sameen
29-Apr-2022 07:26 PM
Very nice 👍
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